2 मोजुदा चुनावी प्रक्रिया और सही उम्मीदवार की पसंदगी
गलत नीव पर खडी यह मोजुदा व्यवस्था - लोकतंत्र में आप किसी को भी CM और PM बना लो वो भले ही नहेरु, केजरीवाल, मोदी या राहुल हो वो लुंटने वाला ही निकलेगा. मोजुदा तंत्र में पद को सत्ता कहा जाता है और सत्ता किसी की भी सगी नहीं होती. सार्वजनिक संपतिका संचालन करने को पूर्णतः सक्षम व्यक्ति को बिना किसी बहसके लोग स्वयं पसंद कर ले ऐसा होना चाहिए. मतलब की इलेक्शन नहीं पर सिलेक्सन होना चाहिए. कभी ऐसा होता है की एक ही विस्तार में संचालन करने योग्य एक से ज्यादा व्यक्ति रहेते है तो ये लोग साथ में मिलकर वह विस्तारकी संपतिका संचालन करेंगे या फिर अगर कोई और विस्तारमें संचालन करने योग्य कोई व्यक्ति न हो तो इनमे से एक को वहा भेजकर वहा की जिम्मेदारी देनी चाहिये. हरिफाई की जगह समजदारी और सहकार की बात हो. जनकल्याणका हेतु समाया हो. हमारा अंतिम लक्ष्य तो सर्व के लिए अच्छे मानव जीवनकी रचना करना है उसको ध्यानमें रखते हुए पूरी प्रक्रिया को चलाना चाहिए. मोजुदा चुनाव प्रक्रिया में क्या हो रहा है? नामर्द, नाकाम और अयोग्य व्यक्ति संचालनकी जिम्मेदारी लेने को हरिफाईमें उतरते है. करोडो रुपयेके विज्ञाप...